बांग्लादेश में राजनीतिक संकट और अनिश्चितता गहराती जा रही है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है। छात्र आंदोलनकारियों की हत्या के बहुचर्चित मामलों में अदालत के फैसले ने पूरे देश में तनाव को और बढ़ा दिया है।
हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल मामून पर भी कड़ी कार्रवाई करते हुए सभी को दोषी ठहराया गया। जैसे ही फैसला सामने आया, राजधानी ढाका से लेकर विभिन्न जिलों में सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है, जबकि अवामी लीग ने व्यापक विरोध का आह्वान किया है।
पांच आरोप जिन्होंने शेख हसीना को दोषी साबित किया
1. नागरिकों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप
अभियोजन पक्ष के अनुसार, हसीना और उनके शीर्ष अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ हुई अमानवीय हिंसा को न केवल प्रोत्साहित किया, बल्कि उसे रोकने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया। इन घटनाओं में यातना और हत्या जैसे गंभीर आरोप शामिल थे।
2. हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों से हमले का आदेश
अदालत में यह साबित हुआ कि हसीना ने आंदोलन को रोकने के लिए हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और जानलेवा हथियारों का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए। यह कार्रवाई छात्रों को समाप्त करने की साजिश के रूप में पेश की गई।
3. प्रदर्शनकारी छात्र अबू सईद की हत्या
बेगम रोकैया विश्वविद्यालय के पास हुए घटनाक्रम में छात्र अबू सईद की हत्या को लेकर भी हसीना जिम्मेदार पाई गईं। अभियोजन पक्ष ने बताया कि उनके उकसावे और आदेश से यह कार्रवाई हुई।
4. चंखरपुल में छह निहत्थे छात्रों की गोली मारकर हत्या
अदालत ने माना कि यह घटना हसीना और अन्य अधिकारियों के आदेश, उकसावे और मिलीभगत का परिणाम थी। यह घटना मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में आती है।
5. अशुलिया में छह छात्रों की हत्या और जलाने की घटना
यह सबसे भयावह आरोप था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, छह छात्रों को गोली मारी गई और बाद में पांच को जला दिया गया, जबकि छठे छात्र को जिंदा आग लगाने का आरोप भी साबित हुआ है।
अब क्या हो सकता है आगे?
फैसले के बाद शेख हसीना के पास कुछ प्रमुख विकल्प हैं:
- उच्च न्यायालय में अपील
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपेक्षा
- राजनीतिक मोर्चे पर समर्थन जुटाना
- दया याचिका दायर करने का अधिकार
बांग्लादेश की राजनीति आने वाले दिनों में और अधिक अस्थिर हो सकती है, और दुनिया की निगाहें इस फैसले के परिणामों पर टिकी हैं।
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