पिछले डेढ़ सालों से बंद पड़े स्कूलों को शुरू करने का फैसला लेकर सरकार ने दोबारा से व्यवस्था को पटरी पर लाने की शुरुआत की है। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही सरकार के प्रयासों पर बट्टा लगाने का काम कर रहे है। कोरोना काल के दौरान पिछले डेढ़ साल से बंद स्कूलों को छत्तीसगढ़ में 2 अगस्त से शुरू कर दिया गया है। इस दौरान बड़े पैमाने पर बच्चों को संक्रमण से बचाने की तैयारियां करने का दावा प्रशासन की तरफ से किया जाता रहा है। लेकिन ये दावा महज आश्वासन मात्र रह गया।
प्रदेशभर में स्कूल खुलने के दिन को उत्सव की तरह मनाया गया। रायपुर के स्कूलों में भी आयोजन किए गए। आमानाका स्थित अंग्रेजी माध्यम स्कूल में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कोविड नियमों का पालन करने का संदेश देते हुए वर्चुअली उत्सव में शामिल हुए। वहीं राज्य के शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम भी स्कूल की व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे। लेकिन इस दौरान संक्रमण से बचाव के पुख्ता इंतजाम के साथ स्कूल खोलने का दावा करने वाले प्रशासन की कोई व्यवस्था नहीं दिखी।
स्कूल शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में कार्यक्रम में भीड़ इकट्ठा हुई। मंत्री जी का स्वागत समारोह आयोजित किया गया। लेकिन मंत्री जी की मौजूदगी में जो नजारा था वो सरकार की व्यवस्था को ठेंगा दिखाने वाला था।
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि सरकार ने तो कोविड से बचाव को लेकर पूरी व्यवस्था की है. तमाम तरह की गाइडलाइन भी जारी की गई है। लेकिन जमीनी स्तर पर शायद सरकार की ये व्यवस्था नहीं पहुंच पा रही है । इसे प्रशासनिक विफलता भी कहें तो गलत नहीं होगा ।
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