राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ऐतिहासिक पहल ‘VandeMataram150’ अभियान का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देश को एक सूत्र में जोड़ा था।”
वंदे मातरम् 150: एकता और स्वाभिमान का उत्सव
अमित शाह ने कहा कि यह अभियान आने वाले एक वर्ष तक पूरे देश में चलेगा और हर भारतीय भाषा में “वंदे मातरम्” के स्वर गूंजेंगे।
उन्होंने बताया कि यह पहल देशभर में राष्ट्रीय चेतना, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ करने का माध्यम बनेगी।
‘वंदे मातरम्’ की प्रेरक यात्रा
1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत भारत के स्वाभिमान का प्रतीक बन गया।
शाह ने उल्लेख किया कि 1936 में बर्लिन ओलंपिक के दौरान भारतीय हॉकी टीम ने मैच से पहले “वंदे मातरम्” गाकर देशभक्ति की अनूठी मिसाल पेश की थी।
इसके बाद 1947 में स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर सरदार पटेल के आग्रह पर पंडित ओंकारनाथ ठाकुर ने इसका गायन किया — और वह क्षण भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया।
संविधान सभा से राष्ट्रगीत बनने तक
24 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में इसे भारत का राष्ट्रगीत घोषित किया।
अमित शाह ने कहा, “वंदे मातरम् भारत की आत्मा है — यह गीत हमें बताता है कि हमारी मातृभूमि केवल मिट्टी नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्कृति है।”
स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा
अमित शाह ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ आज के भारत के लिए आत्मनिर्भरता का आह्वान है।
उन्होंने जनता से अपील की कि इस अभियान के माध्यम से हर भारतीय स्वदेशी उत्पादों को अपनाने और स्थानीय उद्यमों को बढ़ावा देने का संकल्प ले।
सांस्कृतिक चेतना का पुनर्जागरण
शाह ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जिस भावना ने हमें एक किया, वही भावना आज भी “वंदे मातरम्” के रूप में जीवित है।
उन्होंने कहा, “यह गीत हमारी सांस्कृतिक एकता, राष्ट्रीय गौरव और मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है।”
एक भारत, श्रेष्ठ भारत की दिशा में कदम
‘VandeMataram150’ अभियान के तहत देशभर के विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, सरकारी संस्थानों और सामाजिक संगठनों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इस पहल से नई पीढ़ी में देशभक्ति, स्वाभिमान और सांस्कृतिक एकता की भावना को मजबूत किया जाएगा।
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