बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों ने राज्य की राजनीति में एक बड़ा बदलाव संकेतित कर दिया है। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 208 सीटों पर आगे चल रहा है, जिससे यह साफ झलकता है कि गठबंधन इस बार आराम से बहुमत से अधिक सीटें हासिल कर सकता है।

243 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 सीटों का है, और अभी तक के रुझान एनडीए को इस लक्ष्य से कहीं आगे दिखा रहे हैं। इसमें भाजपा 95 सीट, जद(यू) 84 सीट, लोजपा (आर) 19, रालोमो 2 और हम 3 सीटों पर आगे है। यह तस्वीर यह भी संकेत देती है कि परिस्थितियाँ भाजपा के पक्ष में ऐसी बन चुकी हैं, जहाँ वह पहली बार जद(यू) के बिना भी सरकार गठन करने की स्थिति में आ सकती है।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा बिना नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू को साथ लिए सत्ता में आ सकती है?
रुझानों को देखें तो जवाब है—हाँ, गणित इसकी अनुमति देता है।

भाजपा की स्वयं की सीटें इतनी मजबूत स्थिति में दिख रही हैं कि वह एनडीए के अन्य सहयोगियों के समर्थन से आराम से सरकार बना सकती है। यह परिदृश्य बिहार की राजनीतिक दिशा को पूरी तरह बदल सकता है, क्योंकि राज्य की सत्ता वर्षों से नीतीश कुमार की भागीदारी के साथ संचालित होती आई है।

अगर अंतिम नतीजे रुझानों जैसे ही रहे, तो बिहार में सत्ता का नया समीकरण तैयार होगा—जहाँ भाजपा नेतृत्वकर्ता होगी और नीतीश कुमार का स्थान राजनीतिक रूप से पुनर्परिभाषित हो सकता है। आने वाले घंटों में यह तय होगा कि बिहार की राजनीति किस नए स्वरूप की ओर बढ़ेगी।